आप जब किसी वेटर को टिप देते हैं तो आपके मन में बहुत बड़प्पन की फीलिंग आती होगी और सोचते होंगे कि आपकी दी टिप से उसने क्या—क्या किया या लिया होगा. लेकिन इस बार आपका अंदाजा एकदम गलत साबित होगा.
यहाँ जिस वेटर की हम बात करने जा रहे हैं, उसका नाम है केविन मुद्जी. जिम्बाब्वे का रहने वाला 28 साल का केविन चार साल पहले उस समय चर्चा में आया, जब उसने बेकार ही सड़क पर घूमने वाले बच्चों के लिए फुटबॉल अकादमी खोली.
बहुत से लोगों के लिए यह आश्चर्य का विषय हो सकता है, और कुछ के लिए प्रेरणा का कि उसने इस अकादमी को खोलने के लिए जो पैसा लगाया, वह उसे टिप में मिली रकम को जोड़—जोड़कर इकट्ठा किया गया था. केविन की गरीबी ने उसे उसका प्रोफेशनल फुटबॉलर बनने का सपना पूरा नहीं होने दिया था. लेकिन, उसने अपने जैसे दूसरे बच्चों के इस सपने को पूरा करने के लिए अपनी कमाई लगा दी. जब उसके एक बच्चे को देश के गुड होप क्लब ने अपनी फुटबॉल टीम में जगह दी तो केविन के लिए यह उसी के सपने के सच होने जैसा था.
केविन की अकादमी में फिलहाल अंडर-12, अंडर-14 और अंडर-16 कैटेगरी में चार दर्जन से अधिक बच्चे ट्रेनिंग ले रहे हैं, जिन्हें वह राष्ट्रीय स्तर पर खेलते हुए देखना चाहता है. बेशक केविन को अब स्थानीय संस्थाओं और लोगों की मदद मिलने लगी है, लेकिन अभी भी वह अपनी टिप की कमाई को अकादमी के खर्चे चलाने में ही इस्तेमाल करता है.
में शामिल कर लिया है। केविन इस अकादमी की जरूरतें पूरी करने के लिए अपनी बचत और ज्यादातर टिप में मिली रकम का इस्तेमाल करते हैं। अपनी अकादमी चलाने के लिए उन्हें अब स्थानीय स्कूलों से भी मैदान और जरूरी उपकरण की मदद मिलने लगी है। केविन बताते हैं, ‘जब प्रयास कर रही है। मैंने इन बच्चों को सड़क पर बेकार घूमते और नशा
करते देखा तो सोचा कि इनके लिए कुछ करना चाहिए। इसके बाद मैंने अपनी बचत और टिप में मिले पैसे बचाकर अकादमी शुरू की। शुरुआत में इसमें सिर्फ 8 बच्चे थे।’ इन्हीं में से एक 15 साल का यिबानाथी जोजी बताता है, मेरे माता-पिता इस बात से खुश हैं कि मैं अब सड़कों पर नहीं भटकता। । मैंने धूम्रपान भी छोड़ दिया है। मैं स्कूल भी जाता हूं और होमवर्क भी वक्त पर कर लेता हूं।’ अब इस अकादमी में बच्चों की मदद के लिए अन्य लोग भी आगे आने लगे हैं। अब अकादमी इन बच्चों को राष्ट्रीय स्तर पर ले जाने के लिए उसी स्तर के खिलाड़ियों से मेंटरिंग, कोचिंग दिलाने का