सात साल के ऑस्कर सेक्सल्बी-ली ने इतनी कम उम्र में ही जिंदगी के कई रंग देख लिये हैं, ऐसे रंग जिनमें बेबसी का दर्द भी है और लोगों के साथ की खुशी भी.
दो साल पहले, जब ऑस्कर पाँच साल का था, उसके माता-पिता ओलिविया सेक्सल्बी और जैमी सेक्सल्बी को पता चला कि उनक मासूम बेटा लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया नाम के एक दुर्लभ कैंसर की गिरफ्त में आ चुका है. उसका इलाज कर रहे बर्मिंघम चिल्ड्रन्स हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने चेतावनी दे दी कि अगर तीन महीनों के अंदर उसे स्टेम सेल डोनर नहीं मिला, तो उसका बचना नामुमकिन हो जाएगा.
सेक्सल्बी दम्पत्ति के पैरों के तले जैसे जमीन ही खिसक गई. लेकिन, फिर उन्होंने अपनी भावनाओं पर काबू किया और इसका समाधान खोजने में लग गए. उन्होंने अपने बच्चे की मदद के लिए हैंड इन हैंड फॉर ऑस्कर नाम से एक अभियान छेड़ दिया. उनके काम को आसान करने के लिए ऑस्कर के स्कूल ने अपने स्तर पर भी ऐसा ही एक अभियान बर्मिंघम में चला दिया, जिसमें लोगों से ब्लड और स्टेम डोनेट करने की अपील की गई थी.
इस का नतीजा यह निकला कि ऑस्कर के स्कूल के बाहर ऐसे करीब पाँच हजार लोगों की कतार लग गई, जो अपना खून और स्टेम सेल देकर कैसे भी ऑस्कर की जिंदगी बचा लेना चाहते थे. उसी समय भारी बारिश शुरू हो गई, लेकिन ये लोग अपनी बारी के इंतजार में वहीं डटे रहे ताकि जिसका ब्लड और स्टेम मैच हो, वह डोनेट कर सके. उनके इस जज्बे की ब्रिटिश मीडिया में बहुत सराहना हुई और देखते ही देखते यह खबर पूरी दुनिया में फैल गई. उसकी सीएआर—टी थेरेपी के लिए भी करीब पाँच लाख पाउंड क्राउंड फंडिंग के जरिए जुटा लिये गये.
बहरहाल, लोगों की दुआएं और दया भावना रंग लाई और करीब एक साल तक सिंगापुर के एक हॉस्पिटल में रहकर ट्रीटमेंट कराने के बाद ऑस्कर अब वापस आ चुका है और एक कैंसर मुक्त जीवन जी रहा है. वह स्कूल जाने लगा है, लेकिन अभी भी कुछ दूसरी समस्याओं को लेकर उसका इलाज जारी है.