कंधे पर मानवता

आपने अक्सर ड्यूटी पर तैनात लोगों को कहते सुना होगा कि ये मेरा काम नहीं है… लेकिन, कई बार ड्यूटी करने वाले की इंसानियत का दायरा, उसके काम करने के दायरे से कहीं ज्यादा बड़ा साबित होता है. बियॉन्ड द ड्यूटी, सिमोर की एक ऐसी ही पेशकश है, जिसमें हम आपको समय—समय पर ऐसे लोगों से मिलाएंगे, जिन्होंने ड्यूटी करते हुए, जरूरत पड़ने पर सब कुछ भूलकर वह किया, जो पहले एक इंसान होने के नाते उन्हें करना चाहिए था…

इस बार हम आपको मिला रहे हैं, चेन्नई के टीपी चेतराम पुलिस स्टेशन में तैनात महिला पुलिस इंस्पेक्टर ई. राजेश्वरी से. बात करीब साल भर पहले की है. राज्य में भारी बारिश की वजह से तबाही का आलम था. पुलिस को खबर मिली कि कब्रिस्तान में एक पेड़ गिर गया है, जिसके नीचे एक इंसान का शव दबा हुआ है.

सूचना मिलते ही पुलिस शव को बरामद करने वहाँ पहुँची. लेकिन वहाँ पहुँचकर जब पेड़ हटाया गया तो इं. राजेश्वरी ने देखा कि उदय कुमार नाम का वह आदमी अभी जीवित था और उसकी साँसे चल रही ​थीं. उन्होंने तुरंत अपनी पैंट के पांयचों को ऊपर की ओर मोड़ा और उस आदमी को कंधे पर डालकर सुरक्षित अस्पताल पहुँचाने के लिए गाड़ी ढूंढने लगीं. तभी उन्हें एक आटो दिखा और वे भारी जलभराव के बीच भागते हुए उस तक जा पहुँची. उन्होंने दो राहत कर्मियों को बुलाकर आवश्यक निर्देश दिये और उदय कुमार को उनकी गोद में लिटाकर उसे जल्द से जल्द अस्पताल पहुँचाने के लिए कहा.

यह पूरी घटना किसी ने मोबाइल में रिकॉर्ड कर ली और तब पूरे देश को 53 वर्षीय राजेश्वरी के इस बहादुरी भरे कारनामे के बारे में पता चला. बाद में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने बारिश के दौरान बचाव कार्य के लिए इंस्पेक्टर राजेश्वरी को सम्मानित भी किया.

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