न आंगन रहे न अटारी, कहाँ जाए गौरैया बेचारी… बेजुबान गौरैया की इस अनकही व्यथा को समझा है सुशील कुमार ने. केबीसी के पांचवे सीजन के विजेता सुशील कुमार का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है… और न ही गोरैया के अस्तित्व के सामने मुंह बाये खड़ा संकट. इनकी लगातार घटती आबादी के चलते इनका संरक्षण दुनिया भर के पक्षी वैज्ञानिकों के लिए एक बड़ी चुनौती बना हुआ है.
सुशील कुमार ने अपने स्तर पर गौरैया को बचाने के लिए अनूठी मुहिम शुरू की है, जिसके तहत वह लोगों से अपील करते हैं कि वे अपने घरों में गौरैया का घोंंसला लगाएं. वह अपने गृह जिले पूर्वी चंपारण में अपने खुद के खर्चे से अब तक साढ़े पांच हजार से अधिक घरों में लकड़ी के बने गौरैया के घोंंसले लगा चुके हैं. इनमें से करीब एक चौथाई घोंसले तो आबाद भी हो चुके हैं.
सुशील पहले घरों में एक छेद वाला घोंसला लगाते हैं, जब उसमें दो से ज्यादा गौरैया हो जाती हैं तो उसके स्थान पर नौ छेदों वाला घोंसला लगाया जाता है. अपने एक फेसबुक फ्रेंड की सलाह पर सुशील ने 2019 में विश्व गौरैया दिवस के मौके पर यह अभियान शुरू किया था. उनकी लगन को देखकर दूसरे जिलों के लोग भी उत्साहित हुए हैं और उन्हें अपने घरों में घोंसले लगाने के लिए आमंत्रित करने लगे हैं. सुशील कुमार का अभियान काफी सफल हो रहा है, जिसकी वजह से क्षेत्र में गौरैया की संख्या हजारों में पहुँच चुकी है.