गनौरी गोविंद दोऊ खड़े…

कहते हैं कि गुरु ईश्वर तक पहुँचने का मार्ग प्रशस्त करता है, लेकिन कई बार यह काम गनौरी पासवान जैसे जीवट वाले लोग भी किया करते हैं. बिहार के जहानाबाद जिले के गनौरी पासवान एक ऐसी हस्ती का नाम है, जिन्होंने परहित के लिए न अपनी उम्र की परवाह की और न शारीरिक अक्षमता की. बस, दिल में ठाना कि करना है और कर दिखाया.

जिले में बनवरिया गॉंव की एक पहाड़ी पर स्थित है बाबा योगेश्वर का मंदिर. आठ सौ फीट की चढ़ाई, वह भी इतनी खड़ी कि भक्तगणों को वहॉं तक पहुँचने में बहुत दिक्कत होती थी. खासकर, महिलायें और बुजुर्ग श्रद्धालु तो चाहकर भी वहॉं नहीं जा पाते थे. गनौरी पासवान ने इस दिक्कत को महसूस किया और पहाड़ी के बीच रास्ता बनाना शुरु कर दिया.

पेशे से मिस्त्री गनौरी चार साल तक इस काम में लगे रहे और 2018 के अंत तक एक ऐसा सपाट रास्ता बनाने में कामयाब रहे, जो छह फीट चौड़ा था. लेकिन, फिर उन्होंने पाया कि यह भी इतना निरापद और सुविधाजनक नहीं है.

अब उन्होंने इसे सीढ़ियोंदार रास्ते में बदलना शुरू किया. फिर और चार साल… आखिर उनकी मेहनत रंग लायी जो आज एक आठ सौ पायदान वाले सीढ़ीदार रास्ते के रूप में हर रोज सैंकड़ो भक्तों को उनके आराध्य मंदिर तक पहुँचाने में मददगार साबित हो रही है.

अपने दम पर काम शुरु करनेऔर पत्नी व बच्चों के  सहयोग से इसे सफलतापूर्वक अंजाम देने वाले गनौरी को आज दूसरा दशरथ मांझी कहा जाने लगा है. लेकिन, इससे बढ़कर है, वे दुआएं जो मंदिर तक पहुँचने वाले श्रद्धालुओं के मन से उनके लिए निकलती हैं.

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