कई बार हम जब खुद कुछ करने से चूक जाते हैं तो ज्यादातर जिंदगी उस पर अफसोस करते रहने में गुजार देते हैं. लेकिन, कुछ लोग इसका जवाब दूसरों को वही करने में सक्षम बनाकर देते हैं, जो वह नहीं कर पाए.
झारखंड के अजय बहादुर सिंह, अपने जिंदगी फाउंडेशन के जरिए यही कर रहे हैं. वह डॉक्टर बनने का सपना देखते थे और जब वह 18 साल के थे तो उन्होंने मेडिकल की तैयारी भी शुरू कर दी थी. लेकिन, गरीबी के कारण उनका यह सपना पूरा न हो सका. लेकिन, जब उनका यह सपना पूरा न हो सका तो उन्होंने एक नया सपना देखा. अपने जैसे दूसरे लोगों का डॉक्टर बनने का सपना पूरा करने का.
एटम 50, उनके इसी सपने का मूर्त रूप है. इसके माध्यम से वह गरीब परिवारों के पचास बच्चों को मेडिकल और दूसरी प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग देते हैं. इसमें दसवीं कक्षा के बाद से ही बच्चों को प्रवेश दे दिया जाता है और उनकी पढ़ाई का सारा खर्च अजय ही उठाते हैं. अजय ने जिंदगी फाउंडेशन भी बनाया है, जिसमें जरूरतमंद और निराश्रित बच्चों को रखा और पढ़ाया जाता है. उनके इस समर्पण और लगन का ही नतीजा है कि उनसे कोचिंग ले रहे अधिकतर बच्चे मेडिकल एंट्रेंस टेस्ट क्लियर करने में सफल साबित होते हैं. 2018 और 2019 में उनसे कोचिंग लेने वाले क्रमश: 18 और 14 बच्चों ने नीट क्लियर किया तो सब हैरान रह गए.
लेकिन, यहाँ तक पहुँचने का उनका सफर आसान नहीं रहा है. 1972 में झारखंड, तब बिहार, के देवधर में जन्म लेने वाले अजय जिस समय मेडिकल की तैयारी कर रहे थे, उनके इंजीनियर पिता की किडनी खराब हो गई. किडनी प्रत्यारोपण और पिता के उपचार के लिए परिवार को अपनी सारी सम्पत्ति बेचनी पड़ी. इसके बाद घर खर्च चलाने के लिए अजय पढ़ाई छोड़कर, बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने लगे. ट्यूशन से होने वाली आय कम पड़ने लगी तो उन्होंने चाय और शर्बत का स्टाल लगाना शुरू कर दिया और अपनी पढ़ाई भी साथ—साथ जारी रखी.
समाज विज्ञान में स्नातक करने के बाद अजय के आर्थिक हालात जब सुधरने शुरू हुए तो उन्होंने जिंदगी फाउंडेशन की स्थापना की, जिसके माध्यम से वे ऐसे मेधावी बच्चों को नीट की तैयारी में मदद करने लगे, जो आर्थिक तंगी के कारण अपना डॉक्टर बनने का सपना पूरा नहीं कर सकते थे. 1996 में उन्होंने पटना में अपना कोचिंग सेंटर शुरू किया और इसके दस साल बाद गरीब बच्चों को कम फीस पर अच्छी शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए एक निजी कॉलेज खोला. इसके बाद उन्होंने एटम 50 की शुरुआत की.