सब ‘भगवानजी’ की माया

उनका नाम तो भगवान है ही, सोच और व्यवहार में भी वे भगवान ही हैं. हम बात कर रहे हैं गुजरात के भगवानजी भाई रूपापारा की, जिन्होंने बेजुबानों के दर्द को महसूस किया और अपनी खुद की जेब से बीस लाख रुपए खर्च कर पक्षियों के लिए एक आश्रयस्थल तैयार किया.

यह आश्रयस्थल यानि पक्षी बसेरा दो तरह से अनूठा है, एक तो इसे मिट्टी के मटकों से बनाया गया है, दूसरे यह शिवलिंग के आकार में है. ढाई हजार मटकों से तैयार किए गए इस पक्षी बसेरे में दस हजार प​क्षी रह सकते हैं. इसका शिल्प ऐसी तकनीक से डिजाइन किया गया है कि इस पर सर्दी, धूप या बरसात का तो असर नहीं होगा और इसमें पक्षियों को बिजली या चक्रवात में भी भरपूर सुरक्षा मिलेगी.

140 फीट लंबे, 70 फीट चौड़े और 40 फीट ऊंचे शि​वलिंगाकार इस पक्षी बसेरे में ढाई हजार छोटे-बड़े मिट्टी के मटकों को इस तरह संजोया गया है कि इसमें हर तरह के पक्षी अपना घर बना सकें.

शुरू से ही पशु-पक्षियों की मदद करने में दिलचस्पी रखने वाले 75 वर्षीय किसान भगवानजी, जिनका पूरा नाम भगवानजी भाई मोहन भाई रूपापारा है, राजकोट के नवी सांकली गांव के रहने वाले हैं और अपनी सौ एकड़ की खेती संभालते हैं और अपने गांव में हर दिन पक्षियों को करीब 50-60 किलो दाना खिलाते हैं. एक दिन तेज बारिश हो रही थी तो भगवान जी ने देखा कि जो पक्षी कुएं के अंदर बिल में रहते थे, वो पानी भरने के कारण बाहर आ गए थे और बारिश में भीग रहे थे. उन्हें यह देखकर बहुत दुःख हुआ और उन्होंने तय किया कि वे पक्षियों की सहायता के लिए कुछ न कुछ जरूर करेंगे.

पक्षियों के लिए एक बसेरा बनाने के उनके विचार को उनके परिवार के सभी लोगों का पूरा समर्थन व सहयोग मिला तो उत्साहित होकर उन्होंने गांव की पंचायत से जमीन लेकर इसकी नींव रख दी और एक साल की मेहनत और लगन के बाद इस साल की शुरुआत में उनका यह ड्रीम हाउस बनकर तैयार था, जिसकी परिकल्पना पूरी तरह उन्हीं की थी.

यह उन्हीं की मेहनत और सदेच्छा का परिणाम है कि तोते, कबूतरों, मैनाओं और गौरैयाओं जैसे अनेक पक्षियों ने वहाँ डेरा डालना शुरू कर दिया है. पक्षियों के खाने—पीने की उचित व्यवस्था तो यहाँ है ही, साथ ही उनके लिए एक शिव मंदिर भी इस बसेरे में बनाया गया है. इन मेहमानों की सुरक्षा के लिए चारो तरफ से नेट से फेंसिंग की है.

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