5 सितंबर, 2012 को संयुक्त राष्ट्र की आम सभा द्वारा पहली बार इंटरनेशनल चैरिटी डे घोषित किया गया. यह वह दिन था, जब विश्व संत मदर टेरेसा की 15 वीं पुण्यतिथि पर उनका स्मरण कर रहा था.
अंतर्राष्ट्रीय चैरिटी दिवस की स्थापना स्वयंसेवी और परोपकारी गतिविधियों के माध्यम से दूसरों की मदद करने के लिए दुनिया भर के परोपकारी लोगों, गैर सरकारी संगठनों और जरूरतमंदों को एक साथ लाने के उद्देश्य से की गई थी.
इसके लिए मदर टेरेसा की पुण्यतिथि को इसलिए चुना गया, क्योंकि वह ऐसी हस्ती थीं, जिन्हें गरीबी और संकट को दूर करने के लिए उनके संघर्ष और कार्यों के आधार पर लिए नोबेल शांति पुरस्कार(1979) मिला था.
मदर टेरेसा ने सिर्फ 18 वर्ष की उम्र में ही स्वयं को निराश्रितों की मदद करने के लिए समर्पित कर दिया था. 1948 में वह एक भारतीय नागरिक बन गईं और 1950 में कोलकाता (कलकत्ता) में मिशनरीज ऑफ चैरिटी के आदेश की स्थापना की, जो उस शहर में गरीबों और असहाय लोगों के बीच के लिए किए गये कामों के लिए प्रसिद्ध हुआ.
इसके माध्यम से मदर टेरेसा ने मिशनरीज ऑफ चैरिटी का विस्तार करते हुए, पहले भारत में और फिर अन्य देशों में, 45 से अधिक वर्षों तक गरीबों, बीमारों और अनाथों की सेवा की. 5 सितंबर 1997 को 87 साल की उम्र में मदर टेरेसा का निधन हो गया.
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने अपने संकल्प ए/ RES/67/105 के तहत 5 सितंबर, मदर टेरेसा को अंतर्राष्ट्रीय चैरिटी दिवस के रूप में नामित किया.
इस अवसर पर प्रस्तुत हैं चैरिटी और दयालुता पर आधारित कुछ याद रखने लायक कोटेशंस:
‘हमेशा देकर भूल जाना चाहिए और लेकर याद रखना चाहिए’ – ब्रायन ट्रेसी
‘देने से लेना आसान है, लेने से देना अच्छा है. लेने का रोमांच एक दिन तक रहता है, जबकि देने का रोमांच जीवन भर रहता है’ – जोआन मार्क्स
‘देने से कोई कभी गरीब नहीं हुआ’ – ऐन फ्रैंक
‘खुशी हमें जो मिलता है उससे नहीं मिलती, बल्कि हम जो देते हैं उससे मिलती है’ – बेन कार्सन
‘पैसा ही एकमात्र ऐसी वस्तु नहीं है जो देने में मज़ेदार हो. हम समय दे सकते हैं, हम अपनी विशेषज्ञता दे सकते हैं, हम अपना प्यार दे सकते हैं, या बस एक मुस्कान दे सकते हैं. यह बेशकीमती है’ – स्टीव गुडियर
‘अक्सर हम एक स्पर्श, एक मुस्कान, एक दयालु शब्द, एक सुनने वाले कान, एक ईमानदार तारीफ, या देखभाल के सबसे छोटे कार्य की शक्ति को कम आंकते हैं, इन सभी में जीवन को मोड़ने की क्षमता होती है’ – लियो बुस्काग्लिया
‘दूसरों की सेवा वह किराया है जो आप यहाँ पृथ्वी पर अपने रहने के लिए मिली जगह के लिए देते हैं’– मोहम्मद अली
‘हमें इस धरती पर अपने लिए नहीं रखा गया है, बल्कि यहां एक-दूसरे के लिए रखा गया है। अगर आप हमेशा दूसरों के लिए हैं तो जरूरत के समय कोई न कोई आपके लिए जरूर होगा’– जेफ वार्नर