गरीब बच्चे घूमते हैं ‘प्लेन’ में

बचपन में हममें से अधिकतर लोग हवाई जहाज की गर्जना सुनकर उसे देखने के लिए छत पर या मैदान में जरूर भागे होंगे. लेकिन, बहुत ही कम ऐसे होंगे, जिन्हें  उसमें बैठने का या उसे पास से देखने का मौका मिल पाता है.

इस कसक को कुछ हद तक दूर करता है दिल्लीवासी रिटायर्ड एरोनॉटिकल इंजीनियर बहादुर चंद गुप्ता का प्रोजेक्ट ‘फ्लाइट टु नोव्हेयर’. यह उन बहुसंख्य बच्चों और बड़ों के भीतर कैद बच्चों को प्लेन के भीतर की दुनिया देखने का मौका देता है, जो हमेशा उसे उड़ते देख सिर्फ आह भरकर रह जाते थे.

यह कोई एरोप्लेन मॉडल नहीं, बल्कि सचमुच का विमान है, जिसे श्री गुप्ता ने अपनी पुश्तैनी जमीन बेचकर खरीदा है. दिल्ली के आउटस्कर्ट में एक मैदान में रखे इस रिटायर्ड एयरबस ए-300 विमान के दरवाजे सबके लिए खुले हैं. वैसे तो प्रतीकात्मक रूप से इसका बोर्डिंग पास 60 रुपये का है, लेकिन अगर किसी के पास पैसे न भी हों तो उसे रोका नहीं जाता.

प्लेन में इन यात्रियों को सीट मिलती है, एयरहोस्टेस से मार्गदर्शन, कॉकपिट के भीतर जाकर जहाज के उड़ने की प्रक्रिया को समझने का अवसर मिलता है. वापस आने पर उन्हें उनकी सीट पर खाना, चॉकलेट जैसी चीजें सर्व की जाती हैं और अंत में इमरजेंसी स्लाइड से फिसलते हुए बाहर आना होता है.

यह दूसरों को खुशी देने का एक ऐसा तरीका है, जो पाने वाले से ज्यादा देने वाले को खुशी प्रदान करता है.

 

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