संवर रही तकदीर

जब आप कुछ अच्छा करना चाहते हैं तो कोई बाधा आपको आगे बढ़ने से नहीं रोक सकती. इसका एक बेहतरीन उदाहरण हैं, करीब चालीस वर्ष की चंद्रकली मरकाम, जिन्होंने अल्पशिक्षा, अभावों, भौगोलिक बाधाओं और सामाजिक बेड़ियों की परवाह न करते हुए अपना जीवन लोगों की भलाई के लिए समर्पित कर दिया है और लगातार अपने हुनर और मेहनत से गाँवों की तकदीर और तस्वीर बदलने में लगी हैं.

छत्तीसगढ़ की सीमा से सटे मध्यप्रदेश के जिला डिंडौरी में जन्मी चंद्रकली का जीवन एक आम आदिवासी लड़की जैसा ही था. पाँचवीं तक पढ़ाई, 11 साल की उम्र में शादी, गरीबी और अभावों में जीने की मजबूरी, 20 रुपए रोज की मजदूरी में घर चलाने की जिम्मेदारी… जिंदगी ऐसे ही बीतती जा रही थी. लेकिन चंद्रकली की जिंदगी में भी एक निर्णायक मोड़ आया, जब वह 19 साल की थीं. हिम्मत कर बिना घरवालों को बताए, वह सामाजिक संस्था ‘प्रदान’ के स्व-सहायता समूह से जुड़ गई और हर हफ्ते एक-एक रुपया बचाना शुरू कर दिया. उनकी प्रेरणा से इलाके की दूसरी ​महिलाओं ने भी ऐसा ही करना शुरू कर दिया.

चार—पाँच साल बाद ही चंद्रकली ने सरकारी सहायता से भूमिहीन परिवारों के लिए पोल्ट्री फार्म कोऑपरेटिव बनाई, जिसमें शुरू में 60 लोग जुड़े और अब इस समूह में 23 गांवों की महिलाएं जुड़ी हैं. इलाके में मोबाइल नेटवर्क की कमी, नक्सल प्रभाव के बावजूद चंद्रकली नियमित रूप से जंगलों के बीच बसे गांव-गांव में जाकर महिलाओं से मिलती रहती हैं और उन्हें आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित करती हैं.

चंद्रकली अपनी महिला साथियों के साथ मिलकर पोल्ट्री का कारोबार संभाल रही हैं, जहाँ उनके नेतृत्व में 23 गावों की 476 महिला किसान पोल्ट्री फार्मिंग करती हैं. उनके पोल्ट्री फार्म का 2018-19 में 14. 5 करोड़ और 2019-20 में 18 करोड़ रुपए टर्नओवर रहा, जिसमें उन्हें आठ लाख रुपए बचत हुई. चंद्रकली ने कारोबार में मदद के लिए हती है कि इसके लिए अकाउंटेंट और मैनेजर्स रखे हुए हैं. सारा कामकाज हिंदी में होता है. उन्होंने 507 स्व-सहायता समूहों को जोड़कर उनका महासंघ भी बनाया हुआ है.

खुद पांचवीं तक पढ़ी चंद्रकली, सिर्फ सिग्नेचर करना जानती है, लेकिन आदिवासी अंचलों में महिलाओं की पढ़ाई की जबरदस्त वकालत करती हैं. वह उन्हें आय के दूसरे साधन तैयार करने के लिए मशरूम की खेती और किचन गार्डन बनाने के लिए भी प्रेरित करती हैं. चंद्रकली के इस जज्बे और उद्यमिता कौशल के जरिए गांवों के उत्थान में उनके योगदान के लिए को आगे बढ़ाने के लिए कंफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआईआई) फाउंडेशन द्वारा उन्हें 2020 में माइक्रो एंटरप्राइज श्रेणी के वुमन एक्जेम्प्लर अवॉर्ड से नवाजा गया है.

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