महबूब की जाँबाजी

इंसानियत जब अपने सर्वोच्च स्तर पर पहुंचती है तब उसका नाम ‘महबूब’ होता है । आज हम जिस महबूब का जिक्र करने जा रहे हैं, वो किसी महबूबा के महबूब नहीं हैं, या शायद हों और हमें इसकी जानकारी न हो, बल्कि इंसानियत के महबूब हैं. भोपाल के महबूब ने इंसानियत की वैसी ही मिसाल पेश की है, जो पिछले साल मुंबई के मयूर शेल्के ने पेश की थी, यानि किसी की जान बचाने के लिए अपनी जान की बाजी लगा देना.

सोशल मीडिया पर वायरल खबर के अनुसार, एक लड़की ट्रैक पर खड़ी मालगाड़ी के नीचे से पटरी पार कर रही थी कि तभी ट्रेन चल पड़ी और उसका पैर फँस गया. डर के मारे लड़की ने चीखना शुरू कर दिया. वहीं पर पेशे से बढई महबूब अपने काम में लगे थे. जैसे ही उन्होंने उसकी चीखें सुनी, आव देखा न ताव, बस घुस गए गाड़ी के नीचे और पटरी पर फँसी लड़की के सिर को झुकाते हुए नीचे लेट गए. महबूब ने लड़की को तब तक नहीं छोड़ा जब तक कि धड़धड़ाती तेज रफ्तार ट्रेन उनके ऊपर से नहीं गुजर गई.

जिस समय वह इस लड़की की जिंदगी बचाने के लिए अपनी जान दांव पर लगा रहे थे, उसी दौरान कुछ लोग उनका वीडियो बना रहे थे. इन्हीं में से एक वीडियो वायरल हो गया तो उनके इस कारनामे की खबर फैली. इसके लिए उन्हें संबंधित पुलिस अधिकारियों द्वारा पुरुस्कृत भी किया गया.

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