किसी की मदद करने का जज्बा, इंसानियत की बहुत बड़ी पूंजी होता है… और अगर ये मदद या सेवा, बेजुबान व असहाय प्राणियों की हो तो ऐसी भावना वाला व्यक्ति इस पूंजी से बहुत सम्पन्न होता है.
ऐसी ही एक हस्ती हैं, मुंबई की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर शालिनी मिश्रा, जिन्होंने महानगर की सुविधाओं और हर महीने होने वाली लाखों की आमदनी का मोह छोड़, गायों की सेवा का रास्ता चुना और तीन साल से रांची झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले के चाकुलिया में एक गौशाला ‘गोवंश सेवा कुंज’ चला रही हैं.
उनकी लगन और समर्पण भावना का ही परिणाम है कि आज उनकी गौशाला इतनी बड़ी हो चुकी है कि आज इसमें लगभग 14,500 गौवंश हैं और 300 से अधिक स्थानीय लोग इनकी देखभाल में शालिनी की मदद के लिए मौजूद रहते हैं. इतनी बड़ी संख्या होने के बावजूद वह नियमित रूप से प्रतिदिन गौशाला में जाकर वहॉं के हर ‘निवासी’ से निजी तौर पर मिलती हैं ताकि यह सुनिश्चित कर सकें कि सभी की ठीक से देखभाल हो रही है और किसी को कोई तकलीफ नहीं है.
गौशाला के गौवंशीयों में अधिकतर ऐसे मवेशी शामिल हैं, जो अक्सर भारत-बांग्लादेश सीमा पर, सीमा सुरक्षा बल के जवानों द्वारा पशु तस्करों के विशल नेटवर्क के चंगुल से बचाये जाते हैं. इनके अलावा गौशाला में बड़ी संख्या में बीमार, लाचार, बूढ़े बैल भी रहते हैं, जिनके इलाज के लिए पशु चिकित्सकों की टीम भी है, जो डॉ. शालिनी की देख-रेख में काम करती है.
शालिनी को अपने इस पुनीत कार्य में अपने परिवार की ओर से भी पूरा भावनात्मक व आर्थिक सहयोग मिलता है. इससे जुड़ने का श्रेय वह ध्यान फाउंडेशन व इसके प्रवर्त्तक योगी अश्विनी को देती हैं, जिनके विचारों से प्रभावित होकर उन्होंने गौसेवा का मार्ग चुना.
ज्ञातव्य है कि इस समय ध्यान फाउंडेशन द्वारा देश भर में कुल 40 गौशालायें संचालित की जा रही हैं, जिनमें अस्सी हजार से अधिक मवेशियों की देखभाल की जाती है.