शूटआउट एट स्कूल

अपने शहर, राज्य या देश को छोड़कर जो लोग दूसरी जगहों पर काम करने जाते हैं, उनमें से ज्यादातर का वहाँ के लोगों या चीजों से कोई भावनात्मक लगाव नहीं होता और न ही वे उनकी समस्या को अपनी समस्या की तरह देखते हैं.लेकिन, सब लोग एक जैसे नहीं होते. उनमें कई का नैतिक बल इतना अच्छा होता है कि वे वक्त पड़ने पर दूसरों की जान बचाने के लिए अपनी जान जोखिम में डालने से भी पीछे नहीं हटते-

Image courtesy: Jarmoluk (Pixabay) & The Times of India

45 वर्षीय कोनोरू श्रीधर ऐसे ही एक शख्स हैं, जिन्होंने तीन महीने पहले अमेरिका के दक्षिण कैलीफोर्निया के एक स्कूल में हुई शूटआउट की घटना के दौरान अपनी हिम्मत और सूझबूझ का परिचय देते हुए 20 छात्रों की जान बचा ली.अंग्रेजी दैनिक टाइम्स आॅफ इंडिया में प्रकाशित एक समाचार के अनुसार] मूल रूप सेे हैदराबाद के मछलीपटनम के निवासी श्रीधर पिछले पाँच सालों से कैलिफोर्निया के टैंगलवुड मिडिल स्कूल में मैथ पढ़ा रहे हैं. 31 मार्च को स्कूल में हथियार लेकर आए सातवीं कक्षा के एक छात्र ने एक अन्य छात्र 12 वर्षीय जमरी कोरटेज़ बोनापार्ट जैक्सन, जो कि श्रीधर का ही छात्र था, की गोली मारकर हत्या कर दी. उस समय सब छात्र क्लास चेंज कर रहे थे.

जब उन्होंने शोर सुना तो तुरंत हरकत में आ गए, क्योंकि यह वह क्षण था, जब एक पल की देरी, बड़ी तबाही का सबब बन सकती थी. उन्होंने तुरंत अपने छात्रों को एक सुरक्षित क्लासरूम में पहुंचायाऔर बेंचों से दरवाजा बंद कर दिया ताकि हमलावर अंदर न जा सके. उनका अनुसरण करते देख बाकी स्कूल के शिक्षकों ने भी ऐसा ही किया और लगभग डेढ़ सौ छात्रों को सुरक्षा देने में सफल रहे और तब तक तैनात रहे, जब तक कि पुलिस स्कूल नहीं पहुँच गई.

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