इंसान को कुदरत ने अनूठी ताकत दी है. वह विनाश भी कर सकता है और सृजन भी. इस ताकत का इस्तेमाल कभी वह ज्यादातर तो प्रकृति के खिलाफ ही करता है, लेकिन कई बार पक्ष में भी कर देता है.
ऐसा होता है तो फिर कोई भी करिश्मा मुमकिन है. ऐसा ही करिश्मों के बारे में हम आपको समय—समय पर बताते रहेंगे सिमोर के नए कॉलम ग्रीन वरियर्स में.
इस बार हम आपको जिस प्रेरणादायी मंजर के बारे में बताने जा रहे हैं, वह है गर्मी और सूखे के लिए कुख्यात राजस्थान के, झील नगरी के रूप में प्रसिद्ध शहर उदयपुर के चित्रकूट नगर का.
संगमरमर की बेतहाशा कटाई के चलते करीब 75 हजार वर्ग मीटर एरिया पूरी तरह बंजर ही हो चला था. लेकिन तभी , उदयपुर सुधार न्यास (यूआईटी) की नजर इस पर पड़ी और उसने इस इलाके की तस्वीर बदलने का फैसला लेते हुए तुरंत ही इस पर अमल किया और स्लरी पर 3 फीट चौड़े और 6 फीट गहरे गड्ढे खोदकर, एक ही दिन में इन गड्ढों में एक हजार पौधे रोप दिए. इनमें नीम, करंज, कचनार व दूसरे कई प्रकार के छायादार पौधे शामिल थे. इन्हें आसानी से फलने-फूलने का अवसर देने के लिए झील की मिट्टी लाकर गड्डों में भरी गई यह पहल चार साल बाद , एक घने हरे—भरे मिनी जंगल में बदली नजर आती है.